माटी के रंग छत्तीसगढ़ का विचार मंच

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गुरुवार, 5 दिसंबर 2013

मैं


उखाड़ फेको इस मैं  को
इस मैं  में बहुत बुराई है. २
मैं  में सिर्फ मैं  हू
ना कोई बहन ना भाई है
उखाड़ फेको इस मैं  को
इस मैं  में बहुत बुराई है इस मैं  में बहुत बुराई है

मैं  की कहानी ऐसी है
उबलते पानी जैसी है मैं
कड़कते धूप जैसी है मैं
दहकते आग जैसी है मैं
उखाड़ फेको इस मैं  को
इस मैं  में बहुत बुराई है इस मैं  में बहुत बुराई है

काजल से भी काली है मैं
पाप से भी भारी है मैं
भ्रष्टाचार की कहानी  है मैं
अफसरों का राजदुलारी है मैं
उखाड़ फेको इस मैं  को
इस मैं  में बहुत बुराई है इस मैं  में बहुत बुराई है

शैतानों के लिए इक शान है मैं
नेताओं के लिए इक अधिकार  है मैं
किसानो के लिए इक मेहमान है मैं
इंसानियत के लिए इक अभिमान है मैं
उखाड़ फेको इस मैं  को
इस मैं  में बहुत बुराई है इस मैं  में बहुत बुराई है

मैं  की सृष्टी में मै ही भगवान है
मैं  के शासन में मै ही सरकार है
मैं ही साक्षी है
और मैं ही साकार है
उखाड़ फेको इस मैं  को
इस मैं  में बहुत बुराई है इस मैं  में बहुत बुराई है

कौन बच सका है इस मैं  से
इस मैं  में बहुत बुराई है इस मैं  में बहुत बुराई है
उखाड़ फेको इस मैं  को
इस मैं  में बहुत बुराई है इस मैं  में बहुत बुराई है

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