क्या खूब लिखा है -
*आहिस्ता चल जिंदगी,अभी*
*कई कर्ज चुकाना बाकी है*
*कुछ दर्द मिटाना बाकी है*
*कुछ फर्ज निभाना बाकी है*
*रफ़्तार में तेरे चलने से*
*कुछ रूठ गए कुछ छूट गए*
*रूठों को मनाना बाकी है*
*रोतों को हँसाना बाकी है*
*कुछ रिश्ते बनकर ,टूट गए*
*कुछ जुड़ते -जुड़ते छूट गए*
*उन टूटे -छूटे रिश्तों के*
*जख्मों को मिटाना बाकी है*
*कुछ हसरतें अभी अधूरी हैं*
*कुछ काम भी और जरूरी हैं*
*जीवन की उलझ पहेली को*
*पूरा सुलझाना बाकी है*
*जब साँसों को थम जाना है*
*फिर क्या खोना ,क्या पाना है*
*पर मन के जिद्दी बच्चे को*
*यह बात बताना बाकी है*
*आहिस्ता चल जिंदगी ,अभी*
*कई कर्ज चुकाना बाकी है*
*कुछ दर्द मिटाना बाकी है*
*कुछ फर्ज निभाना बाकी है !*
माटी के रंग छत्तीसगढ़ का विचार मंच
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बुधवार, 3 जनवरी 2018
*आहिस्ता चल जिंदगी,अभी*
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